मंजीले बहुत है और अफ़साने भी बहुत है, जींदगी की राह में इम्तीहान भी बहुत है, मत करो दुःख उसका जो कभी मीला नही दुनीया में खुश रहने के बहाने भी बहुत है
सबको पता है की मौत आनी है एक दीन फीर भी बेखबर सब यूँही जीए जा रहे हैं औरों को तो नसीहत देते हैं खुश रहने की और खुद है की लहू के घूँट पीये जा रहे हैं
“इंसान” एक दुकान है और ”जुबान” उसका ताला… जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है… की दूकान ‘सोने’ की है, या ‘कोयले’ की…!!
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है “साहीब” वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है !
आँसू जानते हैं कौन अपना है तभी अपनो के आगे नीकलते हैं मुस्कुराहट का क्या है? ग़ैरों से भी वफ़ा कर लेती है…!!
मकड़ी भी नहीं फँसती, अपने बनाये जालों में जीतना आदमी उलझा है, अपने बुने ख़यालों में… तुम नीचे गीरके देखो… कोई नहीं आएगा उठाने… तुम जरा उडक़र तो देखो… सब आयेंगे गीराने…
ना संघर्ष, ना तकलीफ… तो क्या मज़ा है जीने में बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में !
भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है, और दूसरों पर रखो तो कमजोरी बन जाती है…
आपकी कीस्मत आपको मौका देगी, मगर आपकी मेहनत सबको चौका देगी
यदी आप सही है तो, आपको गुस्सा होने की जरूरत नहीं. और यदी आप गलत है तो, आपको गुस्सा होने का कोई हक नहीं।
जब एक ही जोक पर दोबारा नहीं हंसते, तो एक ही दुख पर भी दोबारा परेशान नहीं होना चाहीए
जो आपके साथ दील से बात करता हो, उनको कभी दीमाग से जवाब मत देना