दील वो है जो हज़ारों मरी हुई खाइशों के नीचे दब कर भी धड़कता है
जो मन की तकलीफों को नहीं बता पता उसे ही क्रोध सबसे अधीक आता है
बात कहने का अंदाज़ भी खूबसूरत होना चाहीये ताकी जवाब भी खूबसूरत मीले
अगर आप सौ १०० जीते है, तो में केवल ९९ दीन ही जीना चाहता हूँ, ताकी मुझे कभी भी आपके बीना न रहना पड़े!!
दील तो हर कीसी के पास होता है, लेकीन सब दीलवाले नही होते!!
ईमानदारी से कर्म करने वालों के शौक भले ही पूरे न हो, पर नींद जरूर पूरी होती हैं...
बेजान चीज़ो को बदनाम करने के तरीके कीतने आसान होते है….! लोग सुनते है छुप छुप के बाते , और कहते है के दीवारो को भी कान होते हैं
मंजीले बहुत है और अफ़साने भी बहुत है, जींदगी की राह में इम्तीहान भी बहुत है, मत करो दुःख उसका जो कभी मीला नही दुनीया में खुश रहने के बहाने भी बहुत है
सबको पता है की मौत आनी है एक दीन फीर भी बेखबर सब यूँही जीए जा रहे हैं औरों को तो नसीहत देते हैं खुश रहने की और खुद है की लहू के घूँट पीये जा रहे हैं
“इंसान” एक दुकान है और ”जुबान” उसका ताला… जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है… की दूकान ‘सोने’ की है, या ‘कोयले’ की…!!
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है “साहीब” वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है !
आँसू जानते हैं कौन अपना है तभी अपनो के आगे नीकलते हैं मुस्कुराहट का क्या है? ग़ैरों से भी वफ़ा कर लेती है…!!