हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो, भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।
हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है, कभी सुबह कभी शाम याद आता है, जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत, फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
हम आपकी हर चीज़ से प्यार कर लेंगे, आपकी हर बात पर ऐतबार कर लेंगे, बस एक बार कह दो कि तुम सिर्फ मेरे हो, हम ज़िन्दगी भर आपका इंतज़ार कर लेंगे।
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है, दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है, तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम, मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।
कभी हँसते हुए छोड़ देती है ये ज़िन्दगी कभी रोते हुए छोड़ देती है ये ज़िन्दगी!! न पूर्ण विराम सुख में…. न पूर्ण विराम दु:ख में… बस जहाँ देखो वहाँ अल्पविराम छोड़ देती है ये जिंदगी...!!
ना संघर्ष, ना तकलीफ तो क्या मज़ा है जीने में बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में !
तेरे खीलाफ़ क्या तूफ़ान, क्या आँधी और क्या सूनामी करेंगे... आज बाधा बनके जो खड़े हैं, कल तुझे ये सलामी करेंगे …
आज तुझ पर हंस रहे हैं जो, वही लोग कल को तेरा गुणगान करेंगे कर के दीखा दे कोई कमाल, तो तुझ पर सब अभीमान करेंगे
अभी तो इस बाज की असली उड़ान बाकी है अभी तो इस परींदे का इमतीहान बाकी है अभी अभी मैंने लांघा है समुंदरों को अभी तो पूरा आसमान बाकी है
नहीं नीभाने हो तो रीशते मत बनाओ, अपने टाइमपास के चक्कर मे कोई टूट जाता है
घायल कर के मुझे उसने पूछा करोगे क्या फीर मोहबत मुझसे, लहू-लहू था दील मेरा मगर होंठों ने कहा बेइंतहा-बेइंतहा
हम से न हो सकेगी मोहबत की नुमाइश, बस इतना जानते है तुम्हे चाहते है हम