हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो, भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।
हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है, कभी सुबह कभी शाम याद आता है, जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत, फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
हम आपकी हर चीज़ से प्यार कर लेंगे, आपकी हर बात पर ऐतबार कर लेंगे, बस एक बार कह दो कि तुम सिर्फ मेरे हो, हम ज़िन्दगी भर आपका इंतज़ार कर लेंगे।
तेरे ख्याल से खुद को छुपा के देखा है, दिल-ओ-नजर को रुला-रुला के देखा है, तू नहीं तो कुछ भी नहीं है तेरी कसम, मैंने कुछ पल तुझे भुला के देखा है।
एक तुम को हमें याद करने की फुर्सत नहीं एक हम को तुम्हे भूलने की आदत नहीं तुम्हे भुलाया भी जाए तो कैसे सांसो के बिना जीने की आदत जो नहीं
अब की बार मिलेंगे तो खूब रुलाएंगे तुम्हे, सुना है तुम्हे रोते हुए लिपट जाने की आदत है
आज फिर टूटेंगी तेरे घर की नाज़ुक खिड़कियाँ क्योंकि आज फिर एक दीवाना तेरे शहर में देखा गया हे
दिल ने कहा आँख से देखा करो कम क्योंकि देखते हो तुम, तड़पते हैं हम आँख ने कहा दिल से सोचा करो कम क्योंकि सोचते हो तुम, रोते हैं हम
कितनी झूठी होती हैं, मुहब्बत की कसमें देखो तुम भी जिंदा हो और मैं भी ...
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैं, इस तरह जुदाई का ग़म मिटा लेते हैं, किसी तरह कभी ज़िक्र हो जाए उनका तो, हस कर भीगी पलके छुपा लेते हैं.
कुदरत के करिश्मों में अगर रात ना होती, ख़्वाबों में भी उनसे मुलाक़ात ना होती, यह दिल हर ग़म की वजह है.. यह दिल ही न होता तो कोई बात न होती.
आप खफा हो गए तो कोई ख़ुशी न रहेगी, आप के बिना चिरागों में रोशनी न रहेगी, क्या कहे क्या गुजरेगी दिल पर, जिंदा तो रहेंगे पर ज़िन्दगी न रहेगी.