हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है, कभी सुबह कभी शाम याद आता है, जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत, फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
तन्हाई सी थी दुनिया की भीड़ में, सोचा कोई अपना नहीं तकदीर में, एक दिन जब दोस्ती की आप से तो यूँ लगा, कुछ ख़ास था मेरे हाथ की लकीर में।