“धर्म” से “कर्म”
इसलिए महत्वपूर्ण है, क्यों की
“धर्म” करके भगवान से
मांगना पडता है,
जबकि “कर्म” करने से
भगवान को खुद ही
देना पडता है
आप चाहे कितने भी
अच्छे काम करेँ..
या कितने भी
अच्छे इंसान हो..।
किन्तु दुर्जन और दुष्ट व्यक्ति
सदैव आपके दोष
खोजने मेँ व्यस्त रहते हैँ…!
रिश्तों से बड़ी चाहत
और क्या होगी,
दोस्ती से बड़ी इबादत
और क्या होगी,
जिसे दोस्त मिल सके
कोई आप जैसा,
उसे ज़िन्दगी से कोई और
शिकायत क्या होगी।
तन्हाई सी थी
दुनिया की भीड़ में,
सोचा कोई अपना
नहीं तकदीर में,
एक दिन जब दोस्ती
की आप से तो यूँ लगा,
कुछ ख़ास था
मेरे हाथ की लकीर में।
साथ रहते यूँ ही
वक़्त गुजर जायेगा,
दूर होने के बाद
कौन किसे याद आयेगा,
जी लो ये पल
जब तक साथ है दोस्तों,
कल क्या पता वक़्त
कहाँ ले के जायेगा।
ज़िन्दगी के तूफानों का
साहिल है दोस्ती,
दिल के अरमानों की
मंज़िल है दोस्ती,
ज़िन्दगी भी बन जाएगी
अपनी तो जन्नत,
अगर मौत आने तक
साथ दे दोस्ती।
तुम दोस्त बनके
ऐसे आए ज़िन्दगी में,
कि हम ये जमाना
ही भूल गये,
तुम्हें याद आए न आए
हमारी कभी,
पर हम तो तुम्हें
भुलाना ही भूल गये।












