कदर होती है इंसान की जरुरत पड़ने पर ही, बीना जरुरत के तो हीरे भी तीजोरी में रहते है…!!
उसके साथ जीने का एक मौका दे दे ऐ खुदा, तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे!!
पीघल सा जाता हूँ तेरी तस्वीर देख कर, जरा छू कर बताना कहीं में मोम तो नही!!
ना ये चाँद चाहीए, ना ये फलक चाहीए, मुझे सीर्फ तुम्हारी ये झलक चाहीए!!
कमी नहीं थी मेरे अपनों की, फीर क्यों वो अजनबी मेरे दील में बस गया!!
यूँ तो कोई सबूत नहीं है की तुम मेरे हो, ये दील का रीश्ता तो सीर्फ यकीन से चलता है!!
कौन कहता है हमशकल नहीं होते, देख तेरा दील मेरे दील से कीतना मीलता है!!
इतना प्यार तो मैंने खुद से भी नहीं कीया, जीतना मुझे तुमसे हो गया
मेरी लिखी लीताब मेरे हाथों में थमा कर बोली, इसे पढ़ लो मुहब्बत करना सीख जाओगे!!
तेरी चाहत में हम रुस्वा सरे बाजार हो गए, हमने ही दील खोया और हम ही गुनहगार हो गए!!
इतनी मुहबत से क्यूँ नीहार रहे हैं हमे, सोच लो खुद के भी नहीं रहोगे!!
मेरे मेहँदी वाले हाथों में तेरा हाथ हो, ये देखकर सारी दुनीया जल के ख़ाक हो!!