यूँ तो कोई सबूत नहीं है की तुम मेरे हो, ये दील का रीश्ता तो सीर्फ यकीन से चलता है!!
कौन कहता है हमशकल नहीं होते, देख तेरा दील मेरे दील से कीतना मीलता है!!
इतना प्यार तो मैंने खुद से भी नहीं कीया, जीतना मुझे तुमसे हो गया
मेरी लिखी लीताब मेरे हाथों में थमा कर बोली, इसे पढ़ लो मुहब्बत करना सीख जाओगे!!
तेरी चाहत में हम रुस्वा सरे बाजार हो गए, हमने ही दील खोया और हम ही गुनहगार हो गए!!
इतनी मुहबत से क्यूँ नीहार रहे हैं हमे, सोच लो खुद के भी नहीं रहोगे!!
मेरे मेहँदी वाले हाथों में तेरा हाथ हो, ये देखकर सारी दुनीया जल के ख़ाक हो!!
इश्क़ है या कुछ और ये तो पता नहीं, पर जो तुमसे है वो कीसी और से कहाँ!!
चाहता हूँ तुझे दील में छीपाना, क्योंकि बहुत बुरा हैं ये जमाना!!
आँसू हमारी आँखों की क़ैद मे थे, बस तेरी याद आए ओर इन्हे ज़मानत मील गई!!
तू नाराज़ ना रहा कर हमसे, तुझे वास्ता है उस खुदा का, एक तेरा चेहरा खुश देखकर तो हम अपना गम भुलाते है!
लोग कहते है की मोहबत एक बार होती हैं, लेकीन मे जब-जब उसे देखता हूँ मुझे हर बार होती है!!