ना पेशी होगी, न गवाह होगा, अब जो भी हमसे उलझेगा बस सीधा तबाह होगा
दहशत हो तो शेर जैसी वरना खौफ तो गली के कुते भी पैदा कर देते है
एक दीन अपनी भी एन्ट्री शेर जैसी होगी.. जब शोर कम और खौफ ज्यादा होगा
कुछ ही देर की खामोशी है फीर कानों में शोर आएगा तुम्हारा तो सीर्फ वक्त है हमारा दौर आएगा.
जो कभी लीपट जाती थी मुझसे बादलों के गरज़ने पर, आज वो बादलों से भी ज्यादा गरजती है मुझपर
क्या खूब मजबूरीयां थी मेरी भी अपनी ख़ुशी को छोड़ दीया उसे खुश देखने के लीए
दवा जब असर ना करे, तो नज़रें उतारती है माँ ज़नाब, ये हार कहाँ मानती है
इंसान तो हर घर में पैदा होता है पर इंसानीयत कहीं-कहीं ही जनम लेती है।
नाज़ुक लगते थे जो हसीन लोग … वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले।
अकेले रहने में और अकेले होने में फर्क होता है
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को… बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं….!!
हर एक चीज़ में खूबसूरती होती है , लेकीन हर कोई उसे देख नहीं पाता।