हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है, कभी सुबह कभी शाम याद आता है, जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत, फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।
हार और जीत हमारी सोच पर नीर्भर है, मान लीया तो हार और ठान लीया तो जीत
जीवन में कभी यह मत सोचो की मेरे से बुरा आदमी मेरे से ज़्यादा सुखी क्यों है पर यह जरूर सोचना की.. मेरे से अच्छा आदमी मुझसे ज़्यादा दुखी क्यों है
एक बार अगर आप अपनी नीगेटिव सोच को नीकालकर, पोसेटिव सोच अपना लोगे, तो परीणाम भी पोसेटीव आने शुरू हो जायेंगे
માણસ હમેંશા વીચારે છે કે ભગવાન છે કે નહી ? પણ ક્યારેય એ નથી વીચારતો કે પોતે માણસ છે કે નહી ??