मिली थी जिन्दगी, किसी के ‘काम’ आने के लिए पर वक्त बित रहा है, कागज के टुकड़े कमाने के लिए...
किसी की "सलाह" से रास्ते जरूर मिलते हैं, पर मंजिल तो खुद की "मेहनत" से ही मिलती है !