ईश्वर के समक्ष केवल
प्रार्थना ही ना करे
बल्कि ध्यान भी लगाए।
प्रार्थना में हम
ईश्वर से बात करते हैं
जबकि ध्यान में
ईश्वर हमसे बात करते हैं।