तुमने भी बस हमें एक दिए
की तरह समझा था,
रात गहरी हुई तो जला दिया
सुबह हुई तो बुझा दिया...
अमीर हुए तो इतने कि
सब कुछ उन्हीं पर लुटा बैठे,
ग़रीब हुए तो इस क़दर
की वापिस उन्ही के
दर पर जा बैठे.
आप खफा हो गए तो
कोई ख़ुशी न रहेगी,
आप के बिना चिरागों में
रोशनी न रहेगी,
क्या कहे
क्या गुजरेगी दिल पर,
जिंदा तो रहेंगे पर
ज़िन्दगी न रहेगी.
कुदरत के करिश्मों में
अगर रात ना होती,
ख़्वाबों में भी उनसे
मुलाक़ात ना होती,
यह दिल हर ग़म की वजह है..
यह दिल ही न होता तो
कोई बात न होती.
उनकी तस्वीर को
सीने से लगा लेते हैं,
इस तरह जुदाई का
ग़म मिटा लेते हैं,
किसी तरह कभी
ज़िक्र हो जाए उनका तो,
हस कर भीगी पलके
छुपा लेते हैं.
कितनी झूठी होती हैं,
मुहब्बत की कसमें
देखो तुम भी जिंदा हो
और मैं भी ...