जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता, मायूस मेरे दील से सवाली नहीं जाता, काँटे ही कीया करते हैं फूलों की हीफाज़त, फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।
समझने ही नहीं देती सीयासत हम को सचाई, कभी चेहरा नहीं मीलता कभी दर्पन नहीं मीलता।
लोग आसमान को इस तरह से देखते हैं की वे जानते हैं की भगवान इस जमीन पर हे ही नहीं
दुनीया की कोई दौलत माँ के दूध का कर्ज नहीं उतार सकती
अगर इस दुनीयाँ में सबसे महान कोई हे तो वो केवल माँ हे
माँ ने आखरी रोटी भी मेरी थाली में परोस दी, जानें क्यों फीर भी मंदीर में भगवान ढूढ़ता हूँ माँ के दील जैसा दूनीयाँ में कोई दील नहीं…
जीस घर में माँ होती है, वहां सब कुछ खुशहाल रहता है
बचपन में चोट लगते ही माँ हल्की फूंक मारकर कहती थी बस ठीक हो जायेगा वाकई माँ की फूंक से बड़ा कोई मरहम नहीं बना
ये लाखों रूपए धूल हैं उस एक रुपये के सामने जो माँ हमें स्कूल जाते समय देती थी
मैं करता रहा सैर जन्नत में रात भर सुबह उठकर देखा तो सर माँ के क़दमों में था
इंसान वो है जो उसे उसकी माँ ने बनाया है
भगवान सभी जगह नहीं हो सकते इसलीए उन्होंने माँ को बनाया