तुम पानी जैसे बनो जो अपना रास्ता ख़ुद बनाता है पत्थर जैसे ना बनो जो दूसरों का भी रास्ता रोक लेता है
છલકાઈ પછી જ તેની સુંદરતા બહાર આવે પછી એ પાણી હોયકે લાગણી
स्वयं को माचिस की तीली न बनाएँ, जो थोड़ा सा घर्षण लगते ही सुलग उठे, स्वयं को वह शांत सरोवर बनाए, जिसमें कोई अंगारा भी फैंके तो, वह खुद ही बुझ जाए