उन्होंने हमें पढ़ के इस तरह रख दिया जैसे लोग पुराने अखबार को रख देते है
કર્મ પાસે, "ના કાગળ".... "ના કિતાબ".... છતાં પણ એની પાસે આખી દુનિયાનો હિસાબ.
मिली थी जिन्दगी, किसी के ‘काम’ आने के लिए पर वक्त बित रहा है, कागज के टुकड़े कमाने के लिए...