हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो, भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।
जिंदगी में किसी से अपनी तुलना मत करो जैसे चांद और सूरज की तुलना किसी से नहीं की जा सकती क्योकि यह अपने समय पर ही चमकते है।
ना ये चाँद चाहीए, ना ये फलक चाहीए, मुझे सीर्फ तुम्हारी ये झलक चाहीए!!