क्या खूब मजबूरीयां थी मेरी भी अपनी ख़ुशी को छोड़ दीया उसे खुश देखने के लीए
जो कभी लीपट जाती थी मुझसे बादलों के गरज़ने पर, आज वो बादलों से भी ज्यादा गरजती है मुझपर
कुछ ही देर की खामोशी है फीर कानों में शोर आएगा तुम्हारा तो सीर्फ वक्त है हमारा दौर आएगा.
जहाँ उम्मीद नहीं होती, वहां तकलीफ की कोई गुंजाइश भी नहीं होती
एक दीन अपनी भी एन्ट्री शेर जैसी होगी.. जब शोर कम और खौफ ज्यादा होगा
दहशत हो तो शेर जैसी वरना खौफ तो गली के कुते भी पैदा कर देते है
जो पैसे से भी हासिल ना हो सके कुछ ऐसा शौख रखता हूँ, ज़िंदगी की हर उलझनो के लिए आपने आप को तैयार रखता हूँ I
ना पेशी होगी, न गवाह होगा, अब जो भी हमसे उलझेगा बस सीधा तबाह होगा
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..! वरना हम दील चुरा भी लेते हैं..!
मेरे बारे में इतना मत सोचना , दील में आता हूँ , समज में नही ।
जीवन में गीरना भी अच्छा है औकात का पता चलता है बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को तो अपनों का पता चलता है
जीवन हमें हमेशा दूसरा मौका जरूर देता है, जीसे “कल” कहते हैं