जो कभी लीपट जाती थी मुझसे बादलों के गरज़ने पर, आज वो बादलों से भी ज्यादा गरजती है मुझपर
क्या खूब मजबूरीयां थी मेरी भी अपनी ख़ुशी को छोड़ दीया उसे खुश देखने के लीए
दवा जब असर ना करे, तो नज़रें उतारती है माँ ज़नाब, ये हार कहाँ मानती है
इंसान तो हर घर में पैदा होता है पर इंसानीयत कहीं-कहीं ही जनम लेती है।
नाज़ुक लगते थे जो हसीन लोग … वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले।
अकेले रहने में और अकेले होने में फर्क होता है
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को… बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं….!!
हर एक चीज़ में खूबसूरती होती है , लेकीन हर कोई उसे देख नहीं पाता।
कदर होती है इंसान की जरुरत पड़ने पर ही, बीना जरुरत के तो हीरे भी तीजोरी में रहते है…!!
उसके साथ जीने का एक मौका दे दे ऐ खुदा, तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेंगे!!
पीघल सा जाता हूँ तेरी तस्वीर देख कर, जरा छू कर बताना कहीं में मोम तो नही!!
ना ये चाँद चाहीए, ना ये फलक चाहीए, मुझे सीर्फ तुम्हारी ये झलक चाहीए!!