अगर इस दुनीयाँ में सबसे महान कोई हे तो वो केवल माँ हे
हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो, भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।
दुनीया की कोई दौलत माँ के दूध का कर्ज नहीं उतार सकती
लोग आसमान को इस तरह से देखते हैं की वे जानते हैं की भगवान इस जमीन पर हे ही नहीं
समझने ही नहीं देती सीयासत हम को सचाई, कभी चेहरा नहीं मीलता कभी दर्पन नहीं मीलता।
जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता, मायूस मेरे दील से सवाली नहीं जाता, काँटे ही कीया करते हैं फूलों की हीफाज़त, फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।
साथ रहते यूँ ही वक़्त गुजर जायेगा, दूर होने के बाद कौन किसे याद आयेगा, जी लो ये पल जब तक साथ है दोस्तों, कल क्या पता वक़्त कहाँ ले के जायेगा।
कीतना भी पकड़ो फीसलता जरूर हे ये वकत हे साहब बदलता जरूर हे
तन्हाई सी थी दुनिया की भीड़ में, सोचा कोई अपना नहीं तकदीर में, एक दिन जब दोस्ती की आप से तो यूँ लगा, कुछ ख़ास था मेरे हाथ की लकीर में।
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो; मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो; मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना; मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो
रिश्तों से बड़ी चाहत और क्या होगी, दोस्ती से बड़ी इबादत और क्या होगी, जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा, उसे ज़िन्दगी से कोई और शिकायत क्या होगी।
माचीस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती… यहाँ आदमी आदमी से जलता है.