इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!
जो दील के ख़ास होते है वो हर लम्हा पास होते हैं.
तेरी चाहत में हम रुस्वा सरे बाजार हो गए, हमने ही दील खोया और हम ही गुनहगार हो गए!!
कौन कहता है हमशकल नहीं होते, देख तेरा दील मेरे दील से कीतना मीलता है!!
कमी नहीं थी मेरे अपनों की, फीर क्यों वो अजनबी मेरे दील में बस गया!!
मेरे बारे में इतना मत सोचना , दील में आता हूँ , समज में नही ।
ના જાણે કઈ ફરિયાદના અમે શિકાર થઈ ગયા જેટલું દિલ સાફ રાખ્યું એટલા ગુનેગાર થઈ ગયા...