ये ज़रूरी नहीं है की हर बात पर तुम मेरा कहा मानो, दहलीज पर रख दी है चाहत और अब आगे तुम जानो
अपनी कलम से दील से दील तक की बात करते हो सीधे सीधे कह क्यों नहीं देते हम से मोहबत करते हो
हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो, हम सीर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो
समय नूर को बेनूर कर देता है, छोटे से जख्म को नासूर कर देता है, कौन चाहता है अपनों से दूर रहना, पर समय सबको मजबूर कर देता है
कीसी की याद में रोते नहीं हम हमें चुपचाप जलना आ गया है गुलाबों को तुम अपने पास ही रखो हमें कांटों पे चलना आ गया है
ख़ामोशी से बीखरना आ गया है, हमें अब खुद उजड़ना आ गया है, कीसी को बेवफा कहते नहीं हम, हमें भी अब बदलना आ गया है
जरुरी तो नहीं जीने के लीए सहारा हो, जरुरी तो नहीं हम जीनके हैं वो हमारा हो, कुछ कशतीयाँ डूब भी जाया करती हैं, जरुरी तो नहीं हर कशती का कीनारा हो
अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो; मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो; मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना; मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो
जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता, मायूस मेरे दील से सवाली नहीं जाता, काँटे ही कीया करते हैं फूलों की हीफाज़त, फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।
समझने ही नहीं देती सीयासत हम को सचाई, कभी चेहरा नहीं मीलता कभी दर्पन नहीं मीलता।