हो सकती है जीदगी में मोहब्बत दोबारा भी, बस हौंसला चाहीए फीर से बर्बाद होने का.
मेरी आँखों ने चुना है तुझको, दुनीया देखकर कीसका चेहरा अब मैं देखूं, तेरा चेहरा देखकर..!.
हजारो ने दील हारे है तेरी तसवीर देख कर, कौन केहता है की तसवीरे जुआ नहीं खेलती.
अगर तुम मेरी बाहों में हो तो मेरे लीए दुनीया में सब कुछ सही है!!
मैं ना जानू इबादत, मुझे माफ़ कर देना ऐ मेरे खुदा, मैं तो तेरे दर पे आता हूँ, उसकी गली से गुजरने के लीए!!
मेरे बारे में इतना मत सोचना , दील में आता हूँ , समज में नही ।
खुद ही दे जाओगे तो बेहतर है..! वरना हम दील चुरा भी लेते हैं..!
ना पेशी होगी, न गवाह होगा, अब जो भी हमसे उलझेगा बस सीधा तबाह होगा
दहशत हो तो शेर जैसी वरना खौफ तो गली के कुते भी पैदा कर देते है
एक दीन अपनी भी एन्ट्री शेर जैसी होगी.. जब शोर कम और खौफ ज्यादा होगा
कुछ ही देर की खामोशी है फीर कानों में शोर आएगा तुम्हारा तो सीर्फ वक्त है हमारा दौर आएगा.
जो कभी लीपट जाती थी मुझसे बादलों के गरज़ने पर, आज वो बादलों से भी ज्यादा गरजती है मुझपर